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क्यों जरूरी है अनुभवात्मक (Experiential) लर्निंग – एक बेहतर सीखने की दिशा में उड़ान स्कूल की पहल 🧠📚🌿
परिचय

आज के समय में सिर्फ किताबें पढ़कर और याद करके अच्छे नंबर लाना ही शिक्षा का उद्देश्य नहीं है। असली शिक्षा तब होती है जब बच्चा जो सीख रहा है, उसे समझे, महसूस करे और अपने जीवन में लागू करे। इसे ही कहते हैं अनुभवात्मक यानी Experiential Learning।

इस ब्लॉग के ज़रिए हम आपको बताना चाहते हैं कि अनुभवात्मक शिक्षा क्या होती है, यह बच्चों के लिए क्यों जरूरी है, और कैसे उड़ान स्कूल इस पद्धति को अपनाकर बच्चों को बेहतर और व्यावहारिक शिक्षा दे रहा है।

✨ अनुभवात्मक लर्निंग क्या है?

जब बच्चा केवल किताबों से नहीं बल्कि करके, देखकर और महसूस करके सीखता है, तो वह अनुभवात्मक लर्निंग होती है। जैसे —

  • गणित का कोई कांसेप्ट समझाने के लिए बच्चों से मैदान में जाकर नाप लेना
  • विज्ञान के प्रयोग करके उसे समझाना
  • कहानी सुनने की बजाय खुद बच्चों से अभिनय करवाना
  • विषय से जुड़ी प्रोजेक्ट बनवाना

इस तरह का सीखना बच्चों के मन में लंबे समय तक बना रहता है और उन्हें सिर्फ जानकार नहीं, समझदार इंसान बनाता है

🏫 उड़ान स्कूल में अनुभवात्मक लर्निंग कैसे होती है?

उड़ान स्कूल ने पारंपरिक पढ़ाई से आगे बढ़कर एक ऐसी शिक्षा प्रणाली अपनाई है जो बच्चों को सीखने का अनुभव देती है, न कि सिर्फ रट्टा।

1. 🧩 कांसेप्ट क्लासरूम्स
हर विषय के लिए खास तरीके से डिजाइन की गई कक्षा जहाँ बच्चों को विषय का गहरा अनुभव कराया जाता है। जैसे गणित की कक्षा में टूल्स और मापने के उपकरण, विज्ञान की कक्षा में मॉडल्स और प्रयोग।

2. 📖 कक्षा के बाहर कक्षा (Learning Beyond Classroom)
सीखने की कोई सीमा नहीं होती, इसलिए उड़ान में बच्चे कभी बगीचे में बैठकर पढ़ते हैं, कभी खेलते हुए गणित सीखते हैं। इससे पढ़ाई में उत्साह बना रहता है।

3. 📚 पाठ्यपुस्तक के बाहर की पढ़ाई
बच्चों को विषय से जुड़ी कहानियाँ, जीवन से जुड़ी घटनाएँ, और अतिरिक्त किताबें पढ़ाई जाती हैं, जिससे वे केवल सिलेबस तक सीमित न रहें।

4. 🎨 प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग (Project-Based Learning)
हर विषय पर बच्चों को छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स दिए जाते हैं जिसमें वे रिसर्च करते हैं, टीम में काम करते हैं और अपनी सोच को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

5. 🪑 टॉपिक के अनुसार बैठने की व्यवस्था
उड़ान स्कूल में बच्चों की बैठने की व्यवस्था भी विषय के अनुसार बदलती है — ग्रुप में, घेरा बनाकर या प्रदर्शन मंच के रूप में। इससे बच्चों की भागीदारी बढ़ती है।

6. 📝 कांसेप्ट एग्ज़ामिनेशन (Concept Exams)
यहाँ परीक्षा सिर्फ याद की गई बातों पर नहीं होती, बल्कि बच्चे ने कितना समझा और उसे कैसे लागू करता है, उस पर आधारित होती है।

🌱 पेरेंट्स के लिए संदेश

प्रिय माता-पिता,
आज की शिक्षा में सिर्फ नंबर लाने की होड़ नहीं होनी चाहिए, बल्कि बच्चों को सोचने, समझने और अपने ज्ञान को जीवन में इस्तेमाल करने की आदत डालनी चाहिए।
उड़ान स्कूल यही दिशा दिखा रहा है। आपका साथ, आपकी भागीदारी और आपका विश्वास बच्चों को एक नई उड़ान देगा — जहाँ वे आत्मनिर्भर, रचनात्मक और समझदार बनेंगे।

✈️ निष्कर्ष

अनुभवात्मक लर्निंग ही वह रास्ता है जो बच्चों को किताबों से जिंदगी तक ले जाता है।

उड़ान स्कूल में शिक्षा सिर्फ विषय नहीं सिखाती, जीने का तरीका सिखाती है।

आइए, हम मिलकर बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जो उन्हें ज़िंदगी भर याद रहे — और जिसमें उन्हें खुद को खोजने और उड़ान भरने का मौका मिले।

शिक्षा का असली उद्देश्य है: समझना, जीना और उड़ना। 🚀📚🇮🇳

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